shows equality in humanity
"Shree Baba Ramdev"
स्वामी ज्ञानस्वरूप जी
रैगर धर्म गुरु स्वामी ज्ञान स्वरूप जी महाराज
21 अक्टूबर ,1895 - 25 फरवरी ,1985
स्वामी आत्माराम जी
त्याग मूर्ति स्वामी आत्मा राम जी ‘लक्ष्य’
17 अगस्त ,1907 - 20 नवम्बर ,1946
रेगर समाज (Regar Society)
हमारा एक ही लक्ष्य है की समाज का प्रत्येक क्षेत्र में विस्तार हो, समाज अग्रणी रहे|
हमारा लक्ष्य
श्री बाबा रामदेव सेवा समिति
रैगर समाज ( Regar Society) की वेबसाईट मे आपका स्वागत है। इस वेबसाईट को आपके समक्ष प्रस्तुत करते हुए अत्यंत हर्ष की अनुभूति हो रही है। अपने विशाल रैगर समाज की स्थिति को देखते हुए समाज में उन्नति एवं प्रत्येक क्षेत्र में विस्तार के दृष्टिकोण अपना रहे है , कि रैगर समाज को ऐसा मंच प्रदान किया जाए, जिसके माध्यम से हमारे क्षैत्र की सम्पूर्ण विश्वसनीय जानकारियां एक ही स्थान पर उपलब्ध हो सके, जिससे हमारे रैगर बंधु इस विशाल समाज को ओर अधिक निकटता से जान-पहचान सके। इस वेबसाइट का उदेश्य है हमारे समाज मे शिक्षा की कमी एवं फेली असामाजिक विचारधारा को ख़त्म करना है एवं सभी को एक साथ लाना है.
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रेगर समाज के स्तर में विस्तार...
रैगर समाज की इस वेबसाईट मे आपका स्वागत् है । इस वेबसाईट को आपके सामने प्रस्तुत करते हुए मुझे अत्यंत हर्ष की अनुभूति हो रही है । अपने विशाल समाज की स्थिति को देखते हुए कई दिनों से मन में एक ललक थी कि इस समाज को ऐसा मंच प्रदान किया जाए, जिसके माध्यम से रैगर जाति के विषय में सम्पूर्ण विश्वसनीय जानकारियां एक ही स्थान पर उपलब्ध हो सके, जिससे रैगर बंधु हमारे इस विशाल समाज को ओर अधिक निकटता से जान-पहचान सके । इन आधारभूत सामग्रीयों के साथ-साथ रैगर जाति के धर्म, उसके इतिहास, परम्पराएँ, आन्दोलनरतता, संगठन क्षमता, ज्वलन्त समस्याएँ, उद्यमिता एवं एवं परिश्रमशीलता, इस जाति के महापुरुष, राष्ट्र निर्माण में योगदान करने वाली विभूतियाँ, क्रांतिकारी एवं स्वतंत्रता सेनानी एवं उन्मुखता की भावना से ओत-प्रोत अपने अर्जित ज्ञान और अनुभव को आप जैसे सुधी पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
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रेगर भारत में गुजरात और राजस्थान राज्यों में पाई जाने वाली एक जाति है। उन्हें राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में रेगर के रूप में जाना जाता है। 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में, ब्रिटिश राज प्रशासन ने साल्टपीटर के स्वदेशी निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया जिससे उनकी आजीविका नष्ट हो गई।
इतिहास किसी भी देश और जाति के उत्थान की कुंजी है । किसी भी देश तथा समाज के उत्थान व पतन तथा वहाँ के ज्ञान-विज्ञान, कला-साहित्य, एवं संस्कृति का ज्ञान हमें इतिहास के द्वारा ही मिल सकता है । हमें अपने पूर्वजों के श्रेष्ठ कार्यों की जानकारी इतिहास के माध्यम से ही मिल सकती है । जिस जाति के पास अपने पूर्वजों का इतिहास नहीं उसे प्राय: मृत समझा जाता है । अर्थात् जिस व्यक्ति को अपने इतिहास की जानकारी नहीं वो इतिहास का निर्माण नहीं कर सकता । वास्तव में इतिहास ही ज्ञान की कुंजी व ज्ञान का विशाल भंडार होता है । इतिहास वह पवित्र धरोहर है जो जाति को अंधकार से निकाल कर प्रकाश की और ले जाती है । हर व्यक्ति दूसरों से तुलना करके अपने आप को श्रेष्ठ प्रमाणित करने में गौरव महसूस करता है और उसके लिए इतिहास से बढ़कर कोई आधार नहीं हो सकता । किसी जाति को जीवित रखने तथा विकास के पथ पर आगे बढ़ने के लिए इतिहास से अधिक कोई प्रेरणा का स्त्रोत नहीं हो सकता...